Mango Pickle – Just the Name Makes Your Mouth Water आम का अचार – बस नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाए! | Mango pickle recipe

Ansariji
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आम का अचार” – बस नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाए!

अचार की खुशबू और यादों की गलियों में चलें थोड़ा

कभी नोटिस किया है? जब भी गर्मियां आती हैं, तो घरों की छतों पर कुछ खास नज़ारे दिखने लगते हैं — धूप में बिछी आम की फांकें, मसालों की खुशबू, और बर्तन धोकर धूप में रखे जाते हैं। ये सब देखकर ही समझ आ जाता है कि “अचार बनने वाला है”।
सच कहें तो आम का अचार सिर्फ एक खट्टी-तीखी चीज़ नहीं है, ये हमारे बचपन की यादें, मम्मी का टिफिन, दादी की सीख और हर खाने की शान है। बिना अचार के पराठा अधूरा लगता है ना?

अचार सिर्फ स्वाद नहीं, एक परंपरा है

भारत के हर घर में अचार की कहानी अलग है। किसी के घर में दादी बनाती हैं, तो किसी के घर में मम्मी। कोई पंजाबी स्टाइल में बनाता है, तो कोई गुजराती मीठा वाला पसंद करता है। मगर एक बात कॉमन है — अचार सबको प्यारा होता है।
आप भी सोच रहे होंगे, “कच्चे आम से अचार कैसे बनता है, क्या-क्या मसाले चाहिए, और वो लंबे समय तक खराब कैसे नहीं होता?”
 घबराइए मत, सब बताएंगे, बस पढ़ते जाइए।

आम का अचार बनाने की देसी और आसान रसिपी

ज़रूरी सामान – जो हर घर में मिल ही जाता है:
कच्चे आम – 1 किलो (गुठली वाला, खट्टा होना चाहिए)
हल्दी – 2 चम्मच
लाल मिर्च पाउडर – 3 चम्मच (अपने हिसाब से कम-ज्यादा कर सकते हैं)
मेथी दाना – 2 चम्मच
राई (सरसों दाना) – 3 चम्मच
सौंफ – 3 चम्मच
हींग – चुटकीभर (खुशबू के लिए)
नमक – स्वाद अनुसार (थोड़ा ज्यादा चलेगा ताकि अचार टिके)
सरसों का तेल – लगभग 500ml (ज़रूरी है ताकि अचार खराब न हो)

आम का अचार बनाने की विधि – हर घर की रसोई से निकली एक खुशबू

जब गर्मियां आती हैं, तो बाजार में कच्चे आम की बहार आ जाती है। हर तरफ पीले-हरे टिकुले चमकते हैं और साथ ही हमारी नानी-दादी, मम्मी की आँखों में एक चमक आ जाती है

“इस बार आम का अचार ज़रा जल्दी डालना है।”

आम का अचार सिर्फ एक रेसिपी नहीं है, ये एक एहसास है, एक याद है, एक परंपरा है। और इस हिस्से में हम उसी परंपरा को फिर से जीने वाले हैं। आइए, मिलकर बनाते हैं वो देसी, खट्टा-तीखा, खुशबूदार अचार – जो रोटी से लेकर पराठे तक, खाने का स्वाद दोगुना कर देता है।

1. सबसे पहले – सही आम का चुनाव

अचार बनाने के लिए आम कोई भी नहीं चलेगा। वो मीठा, पका हुआ आम नहीं चलेगा जो आमरस में इस्तेमाल होता है। यहाँ चाहिए वो कच्चा, सख्त, खट्टा टिकुला आम – जो चबाने पर दांतों से टकराए।

कैसा आम चुनें:

पूरी तरह कच्चा और हरा हो।

उसमें हल्का सा रस हो, लेकिन बिलकुल मीठा न हो।

अंदर से बीज सख्त न हो, लेकिन इतना पका भी न हो कि चिपचिपा लगे।
अगर आप मंडी जा रहे हैं, तो दुकानदार से सीधा बोलिए – “भैया, अचार के लिए आम देना!”

2. जरूरी सामग्री – मसालों की देसी थाली

अचार का असली स्वाद छिपा होता है उसके मसालों में। हर घर का मसाला थोड़ा अलग होता है – किसी के यहाँ मेथी ज़्यादा, तो किसी के यहाँ कलौंजी का तड़का। लेकिन नीचे दी गई सामग्री एकदम जेनुइन, टेस्टेड देसी रेसिपी पर आधारित है:

सामग्री (लगभग 2 किलो आम के लिए):

चाहें तो जोड़ सकते हैं:

लहसुन की कलियाँ – अगर आपको लहसुन वाला अचार पसंद है।

अदरक के पतले टुकड़े – एक एक्स्ट्रा पंच के लिए।

गुड़ – अगर मीठा-खट्टा टेस्ट चाहिए।

3. आम काटना – एक आर्ट है!

अब आती है वो कला जिसमें अक्सर बहनें, भाभियाँ और मम्मियाँ सबसे ज़्यादा मशगूल रहती हैं – आम को काटना।

स्टेप बाय स्टेप:

1. आम को अच्छे से धो लें – धूल, मिट्टी सब निकल जानी चाहिए।

2. किसी साफ कपड़े से पोंछ लें और 15–20 मिनट सूखने दें।

3. तेज चाकू लें (लेकिन हाथ ज़रा ध्यान से!), और आम को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें।

4. बीज को हटा दें या अगर बीज मुलायम हो तो उसके साथ भी बना सकते हैं।

5. सभी टुकड़ों को किसी थाली में फैलाकर 2–3 घंटे सूखा लें ताकि उनमें नमी न रहे।

टिप :- कई घरों में आम के टुकड़े धूप में कुछ घंटे तक सुखाए जाते हैं — इससे अचार जल्दी खराब नहीं होता।

4. मसाला भूनना – घर की खुशबू

अब बारी है उन मसालों को भूनने की, जिनकी महक रसोई से लेकर गली तक जाती है। और उसी महक से पड़ोसी पूछते हैं – "अरे, अचार बना रही हो क्या?"

कैसे भूनें मसाले:

1. सबसे पहले मेथी, सौंफ, राई को धीमी आंच पर हल्का भून लें। जब खुशबू आने लगे, गैस बंद कर दें।

2. इन्हें ठंडा होने के बाद दरदरा कूट लें या मिक्सी में हल्का पीस लें।

3. कलौंजी और हींग को सीधा पीसने की ज़रूरत नहीं – ये वैसे ही डालें।

4. अब एक कटोरी में हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, नमक और बाकी सभी मसाले अच्छे से मिला लें।

5. आम और मसालों की शादी – असली रस्म

अब आता है असली स्टेप – जब आम के टुकड़ों पर मसालों की चादर ओढ़ाई जाती है। ये वो पल होता है जब रसोई में त्योहार जैसा माहौल होता है।

विधि:

1. एक बड़ा बर्तन लें जिसमें आम और मसाले अच्छे से मिल जाएँ।

2. आम डालें, उस पर हल्दी, नमक, मसालों का मिक्स और हींग छिड़कें।

3. अब सबको हल्के हाथ से मिलाएँ – बिलकुल जैसे किसी बच्चे को प्यार से नहलाते हैं।

4. ऊपर से थोड़ा तेल छिड़कें – ताकि मसाले आम से चिपक जाएँ।

6. अचार को धूप दिखाना – प्यार और धैर्य की रीत

अचार बन गया, लेकिन उसका असली स्वाद तब आता है जब वो धूप में पकता है, टपकता है, और मस्त होता है।

कैसे दिखाएं धूप:

1. अचार को कांच की साफ़ बोतल या जार में भरें।

2. ऊपर से थोड़ा और सरसों का तेल डालें – ताकि सबकुछ तेल में डूबा रहे।

3. जार को धूप में रखें – रोज़ाना सुबह से शाम तक।

4. हर दूसरे दिन साफ़ चम्मच से हल्के से हिलाएँ।

टिप: अचार को 7–10 दिन तक धूप दिखाएं। ज़्यादा दिन तो स्वाद में और गहराई आती है।

7. स्टोरेज – ताकि साल भर टिका रहे प्यार

अचार सालों तक चले, इसके लिए ज़रूरी है कि आप उसे सही ढंग से रखें। नहीं तो एक छोटी सी गलती में फफूंदी लग जाती है और मेहनत पर पानी फिर जाता है।

अचार को ऐसे स्टोर करें:

कांच या सिरेमिक के जार का ही इस्तेमाल करें।

हर बार साफ़ और सूखा चम्मच ही डालें।

अगर तेल ऊपर नहीं तैर रहा, तो थोड़ा और डाल दें।

बहुत नमी वाली जगह पर ना रखें – अचार को सूखा, ठंडा और छांव वाली जगह में रखें।

8. और आखिर में – वो बात जो हर घर में होती है

हर घर में अचार बनाने की एक अलग कहानी होती है:

किसी को दादी की डाँट याद आती है – “हाथ गीला मत कर, अचार खराब हो जाएगा!”

कोई मम्मी के साथ आम काटते हुए टीवी देखता था।

तो कोई भाई-बहन से लड़ता था – “तूने ज़्यादा अचार खा लिया!”

अचार कोई रेसिपी नहीं – वो यादों का स्वाद है।

आम का अचार सिर्फ ज़ायका नहीं, सेहत का भी साथी है!

आप सोच रहे होंगे कि अचार तो बस खाने के स्वाद के लिए होता है, पर जनाब! अचार तो सेहत का खज़ाना है। हमारे दादी-नानी यूँ ही थोड़ी कहती थीं – “थोड़ा अचार रोज़ खाओ, पेट सही रहेगा।”

1. पाचन तंत्र को मजबूत करता है

अचार में डाले जाने वाले मसाले – जैसे सौंफ, मेथी, राई और हींग – पेट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये गैस, कब्ज और अपच जैसी चीज़ों से राहत देते हैं।

2. भूख बढ़ाता है

कभी नोटिस किया है कि जैसे ही अचार की खुशबू आती है, वैसे ही मुंह में पानी भर आता है? ये भूख जगाने में बड़ा कमाल करता है। बच्चों को भी जब भूख न लगे, तो रोटी के साथ थोड़ा अचार दे दो – कमाल हो जाएगा!

3. इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है

सरसों का तेल, हल्दी और खट्टे आम – तीनों मिलकर शरीर को सर्दी-खांसी जैसे वायरस से बचाने में मदद करते हैं। मतलब स्वाद भी और सुरक्षा भी!

4. प्रोबायोटिक फूड है भाई!

जब अचार को धूप में रखा जाता है, तो उसमें नेचुरल प्रोबायोटिक बैक्टीरिया बनते हैं – जो पेट के लिए बहुत अच्छे होते हैं। एक तरह से अचार देसी दही जैसा ही फायदा करता है।

अचार को खराब होने से कैसे बचाएं?

अब मेहनत से इतना बढ़िया अचार बनाया है, तो उसकी देखभाल भी करनी पड़ेगी ना? वरना नमी और गंदे चम्मच से अचार जल्दी सड़ सकता है।

1. हमेशा सूखा चम्मच इस्तेमाल करें

गिला चम्मच डाल दिया तो समझो अचार गया। हमेशा साफ और सूखा चम्मच ही यूज़ करें।

2. कांच या चीनी मिट्टी का बर्तन लें

स्टील या प्लास्टिक के डिब्बों से अचार का स्वाद बिगड़ सकता है। सबसे बेस्ट है पुराने ज़माने का कांच का जार।

3. धूप दिखाना न भूलें

हफ्ते में एक बार जार को 2-3 घंटे की धूप दिखा दीजिए। इससे उसमें फफूंदी नहीं लगेगी।

4. तेल से पूरी तरह ढक दें

अचार में जितना तेल डालें, वो इतना होना चाहिए कि आम के टुकड़े उसमें डूबे रहें। ये तेल ही उसे ‘सुरक्षा कवच’ देता है।

क्या अचार खाने से मोटापा बढ़ता है? सच्चाई जानिए!

बहुत लोग सोचते हैं कि “अचार मत खाओ, तेल होता है, मोटे हो जाओगे।” अरे भाई, हर चीज़ लिमिट में खाओ तो फायदा ही होता है।

रोज़ अगर आप एक-दो चम्मच अचार खाते हैं तो कोई नुक़सान नहीं।

तेल तो होता है, लेकिन वो सरसों का – जो खुद बहुत फायदेमंद है।

और रही बात नमक की – तो हर खाने में होता है, लेकिन अचार का नमक ही क्यों दोषी?

बिलकुल खाइए, बस थोड़ा सोच-समझ के।

हर कोने का स्वाद – भारत के अलग-अलग राज्यों से आम के अचार की कहानी”

जब हम ‘आम का अचार’ कहते हैं, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में तुरंत वो खट्टी-तेज़ खुशबू, मसालों की लहर और बचपन की यादें ताज़ा हो जाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस अचार को आप इतने प्यार से खाते हैं, वो देश के हर कोने में अलग-अलग अंदाज़ में बनता है?

जी हां! भारत का हर कोना, हर राज्य, हर घर — अपने आप में एक अचार की यूनिवर्सिटी है।

तो चलिए, एक देसी यात्रा पर निकलते हैं — उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक — और जानते हैं कि कैसे आम का अचार बदलता है ज़ुबान के साथ-साथ ज़मीन के हिसाब से भी|

1. पंजाब का ‘मिर्च-मसालेदार अचार’ – जितना गरम दिल, उतना तीखा स्वाद!

जब बात पंजाब की होती है, तो दो चीज़ें तो पक्की हैं — बड़े दिल वाले लोग और बड़े ज़ायके वाला खाना। पंजाबी आम का अचार भी कुछ वैसा ही है।

पंजाबी स्टाइल आम का अचार कैसा होता है?

इसमें ढेर सारा सरसों का तेल होता है – एकदम देसी ठाठ।

राई, मेथी, कलौंजी, सौंफ जैसे मसाले पूरे दमखम से डाले जाते हैं।

लाल मिर्च बिना कंजूसी के इस्तेमाल होती है – भाई, पंजाबियों को तीखा पसंद है!

सुखाए गए आम के मोटे टुकड़े होते हैं जो हर चबाने पर मसालों का धमाका कर देते हैं।

खास बात:

पंजाबी अचार सिर्फ स्वाद नहीं होता, मूड भी सेट करता है। जब सर्दियों में पराठे के साथ गरमा-गरम अचार खाया जाए तो क्या ही कहने!

2. राजस्थान का ‘तेल में डूबा शाही अचार’ – रेगिस्तान की जादुई देन

राजस्थान, जहां गर्मी के साथ-साथ खाना भी गरम होता है! आम का अचार यहां की रसोई में कोई आम चीज़ नहीं है — ये यहां की संस्कृति है।

राजस्थानी अचार की पहचान:

सबसे ज्यादा तेल इस्तेमाल यहीं होता है — ताकि गर्मी और रेगिस्तान में अचार सालों तक खराब न हो।

लाल मिर्च पाउडर, अजवाइन, हींग, और राई इस अचार की जान होते हैं।

कुछ जगहों पर कच्चे पापड़ के साथ अचार की परंपरा भी है अरे हां, राजस्थानी लोग हर चीज़ के साथ अचार खाते हैं!

खास बात:

राजस्थानी अचार को "धूप और इंतज़ार का अचार" कहा जा सकता है, क्योंकि इसे धूप में कई दिन तक रखा जाता है, और उसमें धैर्य की खुशबू बस जाती है।

3. गुजरात का ‘मीठा और मसालेदार अचार’ – गोर-कट्ठो जैसा स्वाद

अब चलते हैं गुजरात, जहां हर खाने में थोड़ा मिठास ज़रूर होता है — फिर चाहे वो अचार ही क्यों न हो!

गुजराती आम का अचार क्या खास बनाता है?

गुड़ (जग्गरी) इसमें डाला जाता है, जिससे ये हल्का मीठा होता है।

सरसों का तेल, सौंफ, मेथी, और कलौंजी की बैलेंसिंग होती है।

इसे गोर-कट्ठो अचार कहते हैं — यानी मीठा और खट्टा, दोनों!

खास बात:

गुजराती अचार खाने के बाद कभी ‘burn’ नहीं देता, बल्कि मुंह में मीठा-सा aftertaste छोड़ता है। और ये अचार बच्चों को भी बहुत पसंद आता है!

4. महाराष्ट्र का ‘टिकटिकीत अंबा लोंचं’ – देसी और दमदार

अब बारी है महाराष्ट्र की। यहां अचार को ‘लोंचं’ कहा जाता है और महाराष्ट्रीयन अंबा लोंचं एकदम तगड़ा स्वाद लिए होता है।

महाराष्ट्रीयन स्टाइल आम का अचार:

इसमें इस्तेमाल होता है गोडा मसाला – महाराष्ट्र का खास मसाला।

कश्मीरी मिर्च, काला नमक, और कभी-कभी कुकुम (kokum) भी डाला जाता है।

स्वाद – तीखा, थोड़ा नमकीन, और एकदम देसी!

खास बात:

यहां के अचार में एक मिट्टी की खुशबू होती है, और इसे रोटी, भाकरी या वरण-भात के साथ खाया जाए तो मज़ा दोगुना हो जाता है

5. बंगाल का ‘सरसों की पेस्ट वाला अचार’ – स्वाद और खुशबू का मेल

बंगाल में अचार खाने का अंदाज़ बाकी राज्यों से थोड़ा अलग है। यहां आम का अचार जितना सरल होता है, उतना ही गहरा भी|

बंगाली आम का अचार की खासियतें:

इसमें इस्तेमाल होती है सरसों की पीली पेस्ट – जो बेहद खुशबूदार होती है।

सरसों का तेल, हल्दी, काली मिर्च, और पंचफोरन (पांच मसालों का मिक्स) इसमें अनोखा फ्लेवर देते हैं।

इसे ‘Amer Tok’ भी कहा जाता है, जो खट्टा होता है और गर्मियों में ठंडक देता है।

खास बात:

बंगाल का अचार खाना यानी एक धीमी, सॉफ्ट फीलिंग लेना  जैसे कोई रवींद्रनाथ टैगोर की कविता खा रहा है 

6. उत्तर प्रदेश और बिहार – घर जैसा अचार, दिल से बना हुआ

उत्तर भारत के दिल कहे जाने वाले यूपी-बिहार में आम का अचार घर के संस्कार जैसा होता है। यहां के अचार में वो प्यार होता है जो हर घर में महसूस होता है।

UP-Bihar के अचार की खास बातें:

देसी मसाले – मेथी, राई, सौंफ, कलौंजी, लाल मिर्च, नमक और हल्दी – सही बैलेंस में डाले जाते हैं।

कभी-कभी इसमें लहसुन और अदरक भी मिलाया जाता है।

तेल की मात्रा कंट्रोल में होती है, लेकिन मसालों की खुशबू जबरदस्त होती है।

खास बात:

यहां के अचार में ना ज्यादा शोर है, ना ज्यादा दिखावा – एकदम सादा लेकिन दिल से बनाया गया अचार।

7. दक्षिण भारत – मिर्च-मसालों वाला झन्नाटेदार अचार

अब बात करें साउथ इंडिया की, जहां खाने में मसाले और तड़का दोनों बखूबी इस्तेमाल होते हैं — और अचार में भी!

South Indian Mango Pickle (Avakaya):

खासकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मशहूर है आवाकाया – जो बेहद तीखा होता है।

इसमें मिर्च पाउडर, मेथी पाउडर, सरसों पाउडर, और बहुत सारा तेल डाला जाता है।

इसका रंग गहरा लाल होता है – और स्वाद? एकदम झन्नाटेदार!

खास बात:

इस अचार को दाल-चावल के साथ मिलाकर खाइए, फिर देखिए स्वाद के तूफान को! ये सिर्फ अचार नहीं, एक फूड एक्सपीरियंस है।

8. कोलकाता से कोचिन तक – कुछ खास और अनोखे अचार

केरल:

केरल में आम को मसालेदार करी की तरह अचार में पकाया जाता है। इसे मांगा करी कहा जाता है, जो नारियल के साथ खट्टी-मीठी होती है।

ओडिशा और झारखंड:

यहां अचार में कम मसाले डाले जाते हैं लेकिन स्वाद देसी होता है। कुछ लोग अचार में राई और खजूर का भी तड़का लगाते हैं।

नॉर्थ ईस्ट इंडिया:

यहां आम का अचार कम खट्टा और हल्के मसालों वाला होता है। बांस के अचार के साथ कॉम्बिनेशन में खाया जाता है।

कुछ मज़ेदार सवाल-जवाब (FAQs)

अब जब बात आम के अचार की हो रही है, तो कुछ आम सवाल भी उठते हैं। आइए एक नज़र डालते हैं उन पर भी – देसी अंदाज़ में!

Q.1 – कौन सा आम अचार के लिए सबसे अच्छा होता है?

जवाब: अरे भई, खट्टा वाला कच्चा आम ही चाहिए! जिसे देसी भाषा में "टिकुला" या "राजापुरी" आम कहते हैं। वो सख्त होता है और अचार में देर तक टिका रहता है।

Q.2 – अचार कितने दिन तक चलता है?

जवाब: अगर आपने सही तरीके से बनाया और रखा, तो अचार आराम से 6 महीने से लेकर 1 साल तक चल सकता है। बस नमी से बचाइए।

Q.3 – अचार को फ्रिज में रखना चाहिए या बाहर?

जवाब: देसी लोग फ्रिज में नहीं रखते। कांच के जार में भरकर, रसोई की किसी ठंडी, सूखी जगह पर रखें – बस हो गया।

Q.4 – क्या डायबिटीज वाले लोग आम का अचार खा सकते हैं?

जवाब: हाँ, लेकिन मीठा आम का अचार न खाएं। खट्टा और तीखा वाला थोड़ा-थोड़ा खा सकते हैं। और डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

Q.5 – अचार में फफूंदी क्यों लगती है?

जवाब: 3 वजहें – नमी, गिला चम्मच और कम तेल। इनसे बचोगे तो अचार एकदम फिट रहेगा!

चलिए अब थोड़ा भावुक भी हो लें – निष्कर्ष


आम का अचार कोई "साइड डिश" नहीं है, ये हमारी संस्कृति है। ये उस प्यार की बोटल है जो मम्मी ने अपने हाथों से तैयार किया है। ये वो स्वाद है जो हम हर टिफिन में ढूंढते थे।

तो जब भी गर्मियों में आम दिखे, बस बाज़ार से लाकर काटिए, मसाले मिलाइए, धूप दिखाइए और बना डालिए वो जादुई स्वाद — जिससे हर रोटी मुस्कुराए।

खाना सिंपल हो सकता है, पर अगर उसमें अचार हो, तो खाने की जान बन जाती है।
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